Saturday 31 August 2019

सपनो की दुनिया

दिनांक 28 अगस्त 2019 
           मेरे सपने हमेशा से ही विचित्र रहे हैं मैं खुद को किसी ओर ही दुनिया मे पाता हूँ  ये सपने ऐसे होते हैं जिनका मेरे वास्तविक जीवन से कोई संबंध होता ही नही है हो सकता है मेरा दिमाग़ कुछ अलग चीज़े सोचता हो ? 
           कल रात का सपना शुरू होता है पाकिस्तानी असेमबेली से , मैने खुद को दो और लोगो के साथ पाकिस्तानी संसद मे देखा ओर खुद को एक जासूस सपने मे मान रहा हूँ , मेरे साथ वाले दोनो लोग अधेड़ उमर के हैं अचानक वहाँ की संसद ने इंडिया पर परमाणु हमले का निर्णय लिया जाता है हमारे पास एक एसा यंत्र है जिसका बटन दबाते ही इंडिया मे हमारा मसेज पहुँच जाता है ओर वो लोग हमे रिकवर करने के लिए बंदे भेज देते है ओर हमे मार्केट मे पहुँचने को कहते हैं . मार्केट मे बहुत सारी भीड़ है ओर हर तरफ हरा हरा रंग किया हुआ है ओर तभी एक फिल्मी आक्ट्रेस (आलिया भट्ट) दिखाई देती है जो अपना मुँह लपेटे हुए है  मैं उसको देख कर हैरान हो जाता हूँ अचानक मेरे सीनियर मुझे एक कार की तरफ इशारा करते हैं जो देखने मे मारुति आल्टो जैसे दिखाई देती है , कार का ड्राइवर कार का नंबर चेंज करते हुए दिखाई देता है ओर हम तीनो को बैठने का इशारा करता है ,थोड़ी देर मे हम तीनो रवाना हो जाते हैं ओर मेरी नींद खुल जाती है अब ये सारा वाक़या मेरे समझ मे नही आता ओर बैठ कर सोचने लगता हूँ........................
        मेरे समझ मे तो कुछ भी नही आया दोस्तो हाँ अगर आपके समझ मे कुछ आया तो ज़रूर बताइए 
 हो सकता है आप कुछ समझ पाए....
जय हिंद

Tuesday 7 July 2015

क्या समझूँ मैं तुम्हारे इस बिहेवियर को .......
ना तुम मोहब्बत से पेश आते हो ,ना ही नफ़रत दिखाते हो .....
मुझसे समझ नही आता की आख़िर तुम चाहते क्या हो .
अब तुम क्या चाहते हो मुझे समझना भी नही है मुझे बस सिर्फ़ मोहब्बत चाहिए ....
प्रेम चाहिए उसे किसी भी रूप में पा लूँ
मुझे प्रेम के लिए लिए मत रोको ,प्रेम से ही जीवन टीका हुआ है तुम जो समझ लोगे इस बात को तो सब समझ आ जाएगा कुछ कहने की ज़रूरत नही रहेगी समझने की ज़रूरत नही रहेगी हर दिन खूबसूरत हो जाएगा हर रात हसीन हो जाएगी बस तुम एक बार कोशिश तो करो इसे मानने की समझने की .........
तुम क्या सोचते हो की मैं हमेशा दुख में उलझा रहूं , जो कोई सुख है मेरे पास उसे ना देखुं, जो मुझे ना मिल सका उसके लिए रो लूँ ... ओर ज़ोर से चिलाऊं .... नहीं अब मुझसे ये ना होगा मैं अब जीना चाहता हूँ जिंदगी के हर रंग को पाना चाहता हूँ जो खुशियों के पल मैने खोए हैं उन्हे पाना चाहता हूँ .... हवा के समान बहना चाहता हूँ किसी दर्द को सिने से लगा कर जीना न्ही चाहता बस जिंदगी के हर एक पल का लुत्फ़ उठना चाहता हूँ ना जाने क्यूँ ये बदलाव मुझमे आ रहे हैं क्या चीज़ है जो मुझे खींच रही है प्रेम के सागर मे बहाए लिए जा रही है मुझसे कह रही है की ये तुम्हारी जिंदगी नही है तुम्हारी जिंदगी है खुल कर जीना ...
हर गम मुझसे दूर जा रहा है ... खुशी नज़दीक आ रही है ...... इक नयी सुबह मुझे पुकार रही है ओर मुझसे कह रही है की उठो जागो नया दिन चढ़ गया है नयी उर्जा मुझे बुला रही है .
कोई धड़कन के पास गुनगुना रहा है ......
शायद किसी की याद में गा रहा है .........
इसे भी बेवफ़ाई मिली होगी इश्क़ में......
तभी गाकर अपना गम सुना रहा है .....
यूँ ही तो कोई नहीं रोता इस जहाँ में....
शायद गम इसे भी कोई सता रहा है ....
कोई धड़कन के पास गुनगुना रहा है ......
शायद किसी की याद में गा रहा है .........
‪#‎रायसाहब‬
मैने पूछा किसी से कि मोहब्बत क्या है ?
उसने कहा कि ये वक़्त की बर्बादी है ......
मगर कैसे समझाऊं उसे की मोहब्बत है 
तो जिंदगी है ..........
मोहब्बत वो है जो आपने अपने दोस्तों 
से करते है ........
मोहब्बत वो है जो आपने अपने परिवार
से करते है ................
मोहब्बत वो है जो आप अपने माँ-बाप
से करते हैं.........
मोहब्बत वो है जो आप अपने बच्चों
से करते हो .........
मोहब्बत वो है जो आप अपने आप
से करते हैं ,.......
इस जहाँ में हर जगह मोहब्बत ही
मोहब्बत है .......
मोहब्बत है तो ज़िंदगी है ,बिन मोहब्बत
क्या ज़िंदगी है ?..........
‪#‎रायसाहब‬
कुछ बातें अभी अधूरी हैं, कुछ मुलाक़ातें
अभी ज़रूरी हैं ........
तुम सुनो तो सही मेरी फरियाद ,कहानी 
अभी अधूरी है .........
जी तो चाहता है की आ जाएँ हमेशा के
लिए पास तेरे ,मगर
बहुत दूर हूँ तुमसे मगर ये कुछ पल
की दूरी है ......
जब लगती थी चोट ,जब होता था दर्द .....
रो देता था मैं ,ये तो बचपन की कहानी है ....
आज जब चोट लगती है,तो दर्द होता है .......
मगर रोकर दिखाऊँ किसे,दर्द बताऊं किसे.....
मेरी अब की परेशानी है,आज की कहानी है ...
मगर छुपा लेता हूँ गम,रोक लेता हूँ आँसू .....
दर्द सीने का देखा किसने है,समझा किसने है...
कोई देख ना ले , मेरे आँखों के सागर को ....
इसलिए अक्सर रो लेता हूँ अकेले में आजकल..
जब लगती थी चोट ,जब होता था दर्द .....
रो देता था मैं ,ये तो बचपन की कहानी है ....
आज जब चोट लगती है,तो दर्द होता है .......
मगर रोकर दिखाऊँ किसे,दर्द बताऊं किसे.....
मेरी अब की परेशानी है,आज की कहानी है ...
‪#‎रायसाहब‬